गरुड़ पुराण का रहस्य—कौन-से पाप ले जाते हैं इंसान को नरक? जानिए
हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में स्वर्ग और नरक से जुड़े गहन रहस्य वर्णित हैं। इसमें जीवन, कर्म और मृत्यु के बाद की यात्रा का विस्तार से वर्णन मिलता है।

हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में स्वर्ग और नरक से जुड़े गहन रहस्य वर्णित हैं। इसमें जीवन, कर्म और मृत्यु के बाद की यात्रा का विस्तार से वर्णन मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य के अच्छे कर्म उसे स्वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे कर्म उसे नरक का भागी बनाते हैं। यही कारण है कि यह ग्रंथ जीवन को सही दिशा देने वाला मार्गदर्शक माना जाता है।
स्वर्ग और नरक का सिद्धांत: कर्मों पर आधारित न्याय
पुराण में बताया गया है कि—
- नेकी करने वाला व्यक्ति स्वर्ग प्राप्त करता है।
- दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति नरक जाता है, जहां उसे अपने पापों का कठोर दंड भोगना पड़ता है।
- स्वर्ग देवताओं का निवास स्थान माना गया है, जबकि नरक वह जगह है जहां गलत कार्य करने वालों को दंडित किया जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे लोग नरक जाते हैं
1. स्वार्थी और दूसरों का हित न सोचने वाले लोग
जो व्यक्ति केवल अपने बारे में सोचता है और दूसरों के हित की अनदेखी करता है, कुएं, तालाब या मार्ग जैसे सार्वजनिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है— उसे नरक की प्राप्ति होती है।
2. हत्या और गंभीर पाप करने वाले
गरुड़ पुराण के अनुसार निम्न कार्य करने वाले सीधे नरक जाते हैं—
- स्त्री हत्या
- आत्महत्या
- गर्भ हत्या
- ब्रह्म हत्या
- गौ हत्या
- कन्या को बेचना
- लाभ के लिए झूठ बोलना
- ये कर्म सबसे घोर पाप माने गए हैं।
3. धर्म, वेद-पुराण और ऋषि-मुनियों का अपमान करने वाले
जो लोग धर्म का मज़ाक उड़ाते हैं, वेद-पुराण, देवी-देवताओं या ऋषि-मुनियों की निंदा करते हैं— उनके लिए भी नरक का मार्ग बताया गया है।
4. ईश्वर चिंतन न करने वाले व्यक्ति
पुराण में कहा गया है कि जो लोग कभी भी भगवान का स्मरण नहीं करते, उनका मन हमेशा सांसारिक मोह में फंसा रहता है, ऐसे लोगों को स्वर्ग की प्राप्ति कठिन और नरक का मार्ग निश्चित होता है।
5. दया न करने वाले लोग
- अनाथ, गरीब, वृद्ध, बच्चों आदि पर दया न दिखाना
- गरुड़ पुराण में गंभीर दोष माना गया है।
- ऐसे निर्दयी लोग नरक में भेजे जाते हैं।
6. ब्राह्मण होकर व्यसनों में लिप्त व्यक्ति
जो ब्राह्मण— व्यसनों में पड़ जाए, मांस-मदिरा का सेवन करे, दूसरों का धन हड़पे, झूठ बोले उसे नरक भोगना पड़ता है।
7. भोजन न कराना और अतिथि का अपमान
पुराण में कहा गया है कि भोजन करने से पहले किसी जरूरतमंद को भोजन कराना पुण्य का कार्य है। जो लोग— पत्नी, बच्चों, नौकरों या अतिथि को भोजन नहीं कराते वे अपने लिए नरक का द्वार खोलते हैं।
8. नशे में डूबे रहने वाले लोग
शराब, मांस और अन्य बुरे व्यसनों में लिप्त लोग भी नरक के अधिकारी माने गए हैं।
9. मदद मांगने वालों का अपमान करने वाले
जो गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति भोजन मांगे और घर का मालिक उसका अपमान कर उसे भगा दे— उसे भी नरक में दंड मिलता है।
10. पूजा-पाठ और पितरों का तर्पण न करने वाले
जो लोग पूजा-पाठ नहीं करते और पितरों का तर्पण नहीं करते, उन्हें भी नरक जाना पड़ता है।
11. ईर्ष्यालु और दूसरों का धन हड़पने वाले लोग
दूसरों की संपत्ति पर लालच रखना, धन हड़प लेना, ईर्ष्या करना और लगातार दूसरों की बुराई करना— इन सब कारणों से मनुष्य नरक का भागी बनता है।
निष्कर्ष
- गरुड़ पुराण के अनुसार उपरोक्त गुणों और कर्मों वाले लोगों को दुष्ट और पापी कहा गया है, और इन्हीं कारणों से उन्हें नरक की प्राप्ति होती है।
- यह पुराण मनुष्य को चेतावनी देता है कि वह सही मार्ग चुने और दूसरों का भला करे, ताकि मृत्यु के बाद भी उसकी यात्रा शुभ हो।




