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आपके बर्तन में छिपी है लंबी उम्र की कुंजी, आयुर्वेद भी करता है समर्थन

सेहतमंद खाना पकाने के लिए आमतौर पर लोग तेल, मसालों और सब्जियों की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान देते हैं, लेकिन खाना पकाने के बर्तनों के चुनाव को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

सेहतमंद खाना पकाने के लिए आमतौर पर लोग तेल, मसालों और सब्जियों की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान देते हैं, लेकिन खाना पकाने के बर्तनों के चुनाव को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। अगर आप भी ऐसा करती हैं, तो अब समय है इस आदत को बदलने का। क्योंकि जिस धातु के बर्तन में खाना पकता है, उसके गुण सीधे भोजन में शामिल हो जाते हैं।

खाना पौष्टिक और सुरक्षित हो, इसके लिए साफ-सफाई, ताजगी, सही मसालों और कम तेल के साथ-साथ बर्तनों की भूमिका भी बेहद अहम होती है।

बर्तन और सेहत का सीधा संबंध

डायटीशियन ईशी खोसला के अनुसार, खाना पकाते समय बर्तनों का मटीरियल भी किसी न किसी मात्रा में भोजन में मिल जाता है। एल्यूमीनियम, तांबा, लोहा, स्टेनलेस स्टील और नॉन-स्टिक—ये सभी आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले कुकवेयर हैं। इसलिए बर्तन चुनते समय उनके फायदे और नुकसान जानना बेहद जरूरी है।

कास्ट आयरन (लोहे) के बर्तन: सबसे सुरक्षित विकल्प

  • कास्ट आयरन के बर्तन देखने में भारी और कीमत में थोड़े महंगे जरूर होते हैं, लेकिन सेहत के लिहाज से इन्हें सबसे बेहतर माना जाता है।
  • इनमें खाना पकाने से भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ती है
  • मजबूत होते हैं और जल्दी खराब नहीं होते
  • नियमित उपयोग से आयरन की कमी दूर करने में मददगार

एल्यूमीनियम के बर्तन: सस्ते लेकिन नुकसानदेह

एल्यूमीनियम के बर्तन हल्के, मजबूत और अच्छे हीट कंडक्टर होते हैं, इसलिए भारतीय रसोई में इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है।
लेकिन एल्यूमीनियम एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील धातु है।

  • टमाटर, इमली, सिरका, सांभर जैसे अम्लीय खाद्य पदार्थों के संपर्क में आते ही यह भोजन में घुलने लगता है
  • इससे खाने का स्वाद और पोषण दोनों प्रभावित होते हैं
  • विशेषज्ञों के अनुसार: एल्यूमीनियम शरीर में आयरन और कैल्शियम को सोख लेता है
  • इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं
  • कुछ मामलों में अल्जाइमर जैसी मानसिक बीमारियों से भी इसका संबंध पाया गया है
  • लिवर, किडनी और नर्वस सिस्टम के लिए भी यह हानिकारक माना जाता है
  • एल्यूमीनियम बर्तनों में चाय, टमाटर प्यूरी, सांभर और चटनी बनाने से बचना चाहिए।

तांबा और पीतल के बर्तन: सही कोटिंग जरूरी

तांबा और पीतल पुराने समय से इस्तेमाल होते आ रहे हैं और ये अच्छे हीट कंडक्टर भी हैं। लेकिन:

  • ये एसिड और नमक के साथ प्रतिक्रिया करते हैं
  • इससे भोजन में अधिक कॉपर घुल सकता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है
  • फूड पॉइजनिंग का खतरा भी रहता है
  • इसलिए इन बर्तनों पर टिन की कोटिंग (कलई) होना जरूरी है।

स्टेनलेस स्टील: सुरक्षित और किफायती विकल्प

  • स्टेनलेस स्टील के बर्तन आज के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं।
  • ये सुरक्षित, टिकाऊ और किफायती होते हैं
  • जंग नहीं लगती
  • अम्लीय भोजन से प्रतिक्रिया नहीं करते
  • जल्दी गर्म हो जाते हैं
  • सतह पर खरोंच आने से निकल और क्रोमियम निकल सकता है
  • खरीदते समय नीचे कॉपर लेयर वाले बर्तन बेहतर माने जाते हैं और सफाई में ज्यादा रगड़ से बचना चाहिए।

नॉन-स्टिक बर्तन: सुविधा के साथ सावधानी जरूरी

नॉन-स्टिक बर्तनों की खासियत है कि इनमें कम तेल में खाना बन जाता है और खाना चिपकता नहीं। लेकिन: बहुत ज्यादा गर्म करने पर

  • या सतह पर खरोंच आने से
  • इनसे हानिकारक रसायन निकल सकते हैं।
  • विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि: नॉन-स्टिक बर्तनों को तेज आंच पर न रखें
  • धातु के चम्मच का इस्तेमाल न करें
  • सतह खराब होने पर बर्तन बदल दें

सही बर्तन = बेहतर सेहत

सेहतमंद भोजन के लिए सिर्फ सामग्री नहीं, बर्तनों का सही चुनाव भी उतना ही जरूरी है। कास्ट आयरन और स्टेनलेस स्टील जैसे सुरक्षित विकल्प अपनाकर आप अपने खाने को ज्यादा पौष्टिक और सुरक्षित बना सकती हैं।

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