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चांदी ने रचा इतिहास! रिकॉर्ड तोड़ तेजी के पीछे ये 5 बड़े कारण

कमोडिटी बाजार में चांदी ने ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए नया रिकॉर्ड बना दिया है। भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी पहली बार ₹2 लाख प्रति किलो के पार पहुंच गई। यह अब तक का सर्वकालिक उच्च स्तर है।

मुंबई. कमोडिटी बाजार में चांदी ने ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए नया रिकॉर्ड बना दिया है। भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी पहली बार ₹2 लाख प्रति किलो के पार पहुंच गई। यह अब तक का सर्वकालिक उच्च स्तर है।

कारोबारी सत्र में तेज उछाल

शुक्रवार के कारोबारी सत्र के दौरान एमसीएक्स पर चांदी में जबरदस्त खरीदारी देखने को मिली। कारोबार के दौरान इसका भाव ₹2,01,615 प्रति किलो तक पहुंच गया। हालांकि, ऊंचे स्तर पर मुनाफावसूली के चलते बाजार बंद होते समय कीमत ₹1,92,615 प्रति किलो पर आ गई।

2025 में भी जारी है तेजी

एक्सिस डायरेक्ट के अनुसार, साल 2024 में 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न देने के बाद 2025 में भी चांदी की तेजी बरकरार है। सालाना आधार पर कीमतों में यह बढ़ोतरी 1979 के बाद सबसे ज्यादा मानी जा रही है। लंबे समय तक स्थिर रहने के बाद अब चांदी एक मजबूत तेजी के चरण में प्रवेश कर चुकी है।

क्यों रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची चांदी?

विशेषज्ञों के अनुसार, चांदी की कीमतों में उछाल के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण हैं। इनमें से पांच प्रमुख वजहें इस प्रकार हैं—

1. इंडस्ट्रियल डिमांड में जबरदस्त उछाल

एक्सिस म्यूचुअल फंड के मुताबिक, 2025 में सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और 5G टेक्नोलॉजी में चांदी की मांग तेजी से बढ़ी है। मांग में बढ़ोतरी और सप्लाई की कमी ने कीमतों को ऊपर धकेला है।

2. निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी

निवेशक तेजी से कमोडिटी बाजार की ओर रुख कर रहे हैं। सोना और अन्य कीमती धातुओं में मजबूती का सीधा असर चांदी की कीमतों पर भी पड़ा है।

3. ग्लोबल सप्लाई में कमी

अमेरिका के कॉमेक्स एक्सचेंज पर चांदी की कीमत 65.085 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई है, जो कई वर्षों का उच्चतम स्तर है। वैश्विक बाजार में सप्लाई कम होने का असर भारतीय बाजार पर भी साफ दिखाई दे रहा है।

4. डॉलर-रुपया उतार-चढ़ाव

डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी ने भारत में चांदी समेत सभी कीमती धातुओं को और महंगा बना दिया है।

5. अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी को लेकर आशंका

बाजार में आशंका है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चांदी पर आयात शुल्क (टैरिफ) लगा सकते हैं। अमेरिका अपनी जरूरत की करीब दो-तिहाई चांदी आयात करता है। संभावित टैरिफ के डर से अमेरिकी कंपनियों ने चांदी का स्टॉक बढ़ाना शुरू कर दिया, जिससे वैश्विक बाजार में सप्लाई घट गई और कीमतों में तेज उछाल आया।

आगे क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक इंडस्ट्रियल डिमांड मजबूत बनी रहती है और वैश्विक सप्लाई पर दबाव रहता है, तब तक चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद तेजी का रुझान बना रह सकता है।

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