शिवराज बोले: किसानों की मौत को आंकड़ों में न तौलिए, यह अमानवीय होगा
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े साझा करने से इनकार कर दिया।

नई दिल्ली. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े साझा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करना “अमानवीय” होगा, क्योंकि आत्महत्या को आंकड़ों में बांधना उचित नहीं है। प्रश्नकाल के दौरान पंजाब से आम आदमी पार्टी के सांसद संत बलबीर सिंह ने पिछले 15 वर्षों में किसानों की आत्महत्या की संख्या और उसका राज्यवार विवरण मांगा था।
“एक भी आत्महत्या दुर्भाग्यपूर्ण”
मंत्री बोले—हमारा संकल्प है, हर व्यक्ति गरिमा के साथ जीवन जिए इसके जवाब में चौहान ने कहा: “एक भी आत्महत्या दुर्भाग्यपूर्ण है। आत्महत्या के कई कारण होते हैं—कभी विद्यार्थी कर लेते हैं, कभी पेशेवर, व्यापारी और गृहिणियां भी। किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों में जाना अमानवीय होगा।”
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और किसी भी व्यक्ति को गरिमा के साथ जीवन जीने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।
सरकार के प्रयास: उत्पादन में 44% वृद्धि
- उर्वरक सब्सिडी से लेकर किसान क्रेडिट कार्ड तक कई योजनाओं का उल्लेख
- एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में चौहान ने बताया कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रही है।
- उन्होंने कहा: 2014 की तुलना में कृषि उत्पादन 44% बढ़ा है।
- 2 लाख करोड़ रुपये उर्वरक सब्सिडी के रूप में दिए जा रहे हैं।
- किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 4.09 लाख करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
- फसल बीमा योजना के तहत किसानों को 1.9 लाख करोड़ रुपये की सहायता मिली है।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर 15 लाख करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
पंजाब सरकार पर निशाना
“फसल बीमा लागू होता तो नुकसान की भरपाई हो सकती थी”
चौहान ने पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की होती, तो हाल की बाढ़ से पीड़ित किसानों को कुछ राहत मिल सकती थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर राज्य में फसल बीमा योजना शुरू करने का अनुरोध किया है।




