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राहुल गांधी के तीन सवालों से गरमाई राजनीति—PM और CJI को लेकर साधा निशाना

लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को सत्तापक्ष पर कड़ा हमला बोला।

नई दिल्ली. लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को सत्तापक्ष पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “वोट चोरी सबसे बड़ा राष्ट्र-विरोधी कृत्य है”, और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल के लोग ही इस कृत्य को अंजाम दे रहे हैं तथा ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ को नष्ट कर रहे हैं। राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और केंद्र सरकार पर निर्वाचन आयोग और अन्य प्रमुख संस्थाओं पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया।

मतदाता सूची, CCTV फुटेज और EVM जानकारी सभी दलों को उपलब्ध कराने की मांग

राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करते हुए कहा—

  • चुनाव से एक महीने पहले सभी राजनीतिक दलों को मशीन-रीडेबल मतदाता सूची दी जाए।
  • मतदान दिवस की CCTV फुटेज उपलब्ध कराई जाए तथा फुटेज डिलीट करने की नीति बदली जाए।
  • ईवीएम की संरचना और तकनीकी विवरण सार्वजनिक किए जाएं ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

“2023 का कानून बदलिए, जो निर्वाचन आयुक्तों को असीमित शक्ति देता है”

राहुल गांधी ने वर्ष 2023 में पारित उस कानून में बदलाव की मांग की, जिसके तहत निर्वाचन आयुक्तों को उनके पद पर रहते हुए लिए गए निर्णयों के लिए पूर्ण संरक्षण मिला है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान लोकतांत्रिक जवाबदेही को कमजोर करता है।

CJI को सिलेक्शन पैनल से हटाने पर सवाल: “क्या CJI पर भरोसा नहीं?”

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर तीखा सवाल उठाते हुए राहुल ने पूछा— “मुख्य चुनाव आयुक्त और दूसरे आयुक्तों को चुनने वाली समिति से CJI को क्यों हटाया गया? क्या CJI पर भरोसा नहीं है?”

उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उस समिति में हैं, जबकि विपक्ष के नेता के रूप में उनकी आवाज़ संख्याबल के कारण गौण हो जाती है।

चुनाव आयुक्तों को सज़ा से छूट क्यों? — राहुल गांधी

राहुल ने CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों से जुड़े कानून 2023 के क्लॉज 16 का जिक्र किया, जो उन्हें उनके आधिकारिक कार्यों के लिए किसी भी कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने पूछा— “ऐसा कानून क्यों पास किया गया, जिससे चुनाव आयुक्तों को सज़ा से छूट मिल जाए?” उन्होंने आरोप लगाया कि इस संरचना का परिणाम यह है कि चुनाव की तारीखें प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के हिसाब से तय होती हैं।

“सरकार विश्वविद्यालयों, एजेंसियों और चुनाव आयोग पर कब्जा कर चुकी है”

राहुल गांधी ने दावा किया कि केंद सरकार—

  • विश्वविद्यालयों,
  • जांच एजेंसियों,
  • चुनाव आयोग पर नियंत्रण स्थापित कर चुकी है।

उन्होंने कहा— “वोट चोरी राष्ट्र-विरोधी काम है। हम एक महान लोकतंत्र हैं, जहां इसके लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। पर सरकार चुनाव सुधार नहीं चाहती।”

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