चेतावनी के बाद सरकार की तेजी: अन्ना हजारे के दबाव में महाराष्ट्र में बड़ा निर्णय पास
समाजसेवी अन्ना हजारे ने गुरुवार को चेतावनी दी थी कि यदि महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया, तो वे जनवरी 2026 में आमरण अनशन शुरू करेंगे।

मुंबई. समाजसेवी अन्ना हजारे ने गुरुवार को चेतावनी दी थी कि यदि महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया, तो वे जनवरी 2026 में आमरण अनशन शुरू करेंगे। इससे पहले यूपीए सरकार के दौर में उनके आंदोलन ने देशभर में जबरदस्त जनसमर्थन पाया था, जिसके प्रभाव से आम आदमी पार्टी ने राजनीति में प्रवेश किया और बाद में दिल्ली व पंजाब की सत्ता तक पहुंची। अन्ना हजारे की नई चेतावनी के एक दिन बाद ही महाराष्ट्र विधानसभा में इस कानून को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।
विधानसभा में बड़ा फैसला: IAS अधिकारी भी होंगे लोकायुक्त के दायरे में
लोकायुक्त कानून 2023 में संशोधन को मंजूरी
महाराष्ट्र विधानसभा में लोकायुक्त कानून, 2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है। इस संशोधन के तहत अब IAS अधिकारियों को भी लोकायुक्त के दायरे में लाया जाएगा। सरकार का कहना है कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
यह प्रस्ताव उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा सदन में पेश किया गया, जिसे मंजूरी मिल गई। फडणवीस ने कहा कि इस संशोधन से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार की ओर से तैनाती पाने वाले सभी आईएएस अधिकारी अब लोकायुक्त कानून के तहत जवाबदेह होंगे।
अन्ना हजारे की शिकायत बनी हुई है बरकरार
कानून लागू होने की तिथि स्पष्ट नहीं
हालांकि संशोधन तो पारित कर दिया गया है, लेकिन यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि लोकायुक्त कानून को आधिकारिक रूप से कब लागू किया जाएगा। अन्ना हजारे की मुख्य नाराज़गी यही है कि राज्य में इस कानून को अब तक प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 के तहत राज्यों में लोकायुक्त व्यवस्था की परिकल्पना की गई थी।
क्या होंगे नए संशोधन के फायदे?
राज्य सरकार द्वारा तैनात अधिकारी होंगे जवाबदेह
नए संशोधन के अनुसार, राज्य के बोर्ड, निगम, समिति, या किसी भी अन्य संस्था में तैनात IAS अधिकारी भी लोकायुक्त के दायरे में आएंगे। इसका मतलब है कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सभी वरिष्ठ अधिकारी अब जांच और जवाबदेही की व्यवस्था के भीतर होंगे।
फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि इस संशोधन से केंद्र और राज्य के कानूनों के बीच किसी तरह का टकराव नहीं होगा, बल्कि कानून में और अधिक स्पष्टता आएगी।




