आस्था की ऊँचाइयों को छूती अनुपम वास्तुकला वाला मंदिर
चंबल क्षेत्र के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में चोपड़ा शिव मंदिर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। राजस्थान के धौलपुर शहर में स्थित यह अनूठा शिव मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

चंबल क्षेत्र के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में चोपड़ा शिव मंदिर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। राजस्थान के धौलपुर शहर में स्थित यह अनूठा शिव मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि 19वीं शताब्दी की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण भी है।
1856 में हुआ था निर्माण
इस भव्य शिव मंदिर का निर्माण वर्ष 1856 ईस्वी में धौलपुर के महारावल भगवंत सिंह के मामा राजधर कन्हैया लाल ने करवाया था। कन्हैया लाल जी धौलपुर राजघराने के दीवान थे और मंदिर की बनावट में उनका कला-प्रेम स्पष्ट रूप से झलकता है।
अद्वितीय वास्तुकला की मिसाल
करीब 150 फुट ऊंचा यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत विशिष्ट है। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय है, जिसकी आठों दीवारों में आठ दरवाजे बने हैं। प्रत्येक द्वार पर आकर्षक और कलात्मक मूर्तिकारी की गई है। मंदिर का उन्नत शिखर और बाहरी हिस्से की बारीक नक्काशी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। निर्माण में प्रयुक्त पत्थरों पर की गई सूक्ष्म नक्काशी इसे और भी खास बनाती है।
कुंड और विशाल आंगन
मंदिर के समीप एक कुंड भी स्थित है, जिसका निर्माण भी दीवान कन्हैया लाल ने ही करवाया था। दुर्भाग्यवश, रखरखाव के अभाव में वर्तमान में कुंड की स्थिति दयनीय बनी हुई है। मंदिर मुख्य परिसर के बीच एक विशाल आंगन में स्थित है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 25 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
सिद्ध मंदिर के रूप में मान्यता
चंबल अंचल के लोगों में चोपड़ा शिव मंदिर को सिद्ध पीठ के रूप में विशेष मान्यता प्राप्त है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री जयेन्द्र सरस्वती भी यहां पधार कर शिवलिंग का अभिषेक कर चुके हैं। यह धौलपुर शहर का सबसे प्राचीन शिव मंदिर माना जाता है।
महाशिवरात्रि पर उमड़ती है श्रद्धा की लहर
हर वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर चोपड़ा शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। दूर-दराज से भक्त दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए यहां पहुंचते हैं।
कैसे पहुंचें
चोपड़ा शिव मंदिर राजस्थान के धौलपुर शहर में आगरा–ग्वालियर मार्ग पर स्थित है। यह शहर के मुख्य बस स्टैंड से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है, जहां से पैदल भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
दर्शन समय
- प्रातः 7:00 बजे से 12:00 बजे तक
- सायं 4:00 बजे से 7:00 बजे तक




