दुनिया

मानवाधिकार संघर्ष में अहम मोड़, नोबेल विजेता बियाल्यात्सकी जेल से बाहर

बेलारुस के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अलेस बियाल्यात्सकी की रिहाई का कई मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है।

स्टॉकहोम. बेलारुस के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अलेस बियाल्यात्सकी की रिहाई का कई मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है। मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था राइट लाइवलीहुड ने इसे “न्याय की दिशा में बहुत देर से आया कदम” करार दिया है।

राइट लाइवलीहुड ने क्या कहा

राइट लाइवलीहुड ने अपने बयान में कहा कि जुलाई 2021 में अलेस बियाल्यात्सकी की गिरफ्तारी अवैध थी और पूरी तरह राजनीतिक कारणों से प्रेरित थी। संस्था ने जोर देते हुए कहा, “हम वियासना की सदस्य मारफा राबकोवा और बेलारूस में अपने मूल अधिकारों का प्रयोग करने के कारण कैद किए गए सभी अन्य लोगों की तत्काल रिहाई की अपनी आपात अपील को फिर से दोहराते हैं।”

वियासना मानवाधिकार केंद्र से जुड़ा मामला

उल्लेखनीय है कि वियासना मानवाधिकार केंद्र की स्थापना स्वयं अलेस बियाल्यात्सकी ने की थी। उनकी रिहाई के साथ ही वियासना के उनके दो अन्य सहयोगियों को भी जेल से मुक्त किया गया है।

2020 के चुनावों के बाद बढ़ा दमन

गौरतलब है कि बेलारुस के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको के 2020 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि चुनावों में व्यापक धांधली हुई है। इन प्रदर्शनों के बाद सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के तहत ही वर्ष 2021 में अलेस बियाल्यात्सकी की गिरफ्तारी की गई थी।

आम माफी के तहत रिहाई

जानकारी के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिनिधिमंडल की अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको से मुलाकात के बाद शनिवार को 123 कैदियों को आम माफी के तहत रिहा किया गया, जिनमें अलेस बियाल्यात्सकी भी शामिल थे।

मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

राइट लाइवलीहुड के कार्यकारी निदेशक ओले वॉन उएक्सकुल ने कहा, “अलेस बियाल्यात्सकी को कभी भी जेल में नहीं होना चाहिए था। उनकी गिरफ्तारी शुरू से ही गैरकानूनी थी और इसका उद्देश्य शांतिपूर्ण मानवाधिकार कार्य को दबाना था। हम उनकी रिहाई का स्वागत करते हैं, लेकिन सच्चा न्याय तभी होगा जब उनके सभी सहयोगी मुक्त होंगे और बेलारूस के लोग वास्तव में लोकतांत्रिक चुनावों के माध्यम से अपने नेताओं का चयन कर सकेंगे।”

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मान

गौरतलब है कि वर्ष 2022 में अलेस बियाल्यात्सकी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए उनके लंबे संघर्ष की अंतरराष्ट्रीय मान्यता मानी जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button