स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति! डॉ. पाराशर ने बताई एकीकृत नीति की ताकत
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. पाराशर ने कहा है कि एकीकृत स्वास्थ्य नीति देश की चिकित्सा व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

नई दिल्ली. स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. पाराशर ने कहा है कि एकीकृत स्वास्थ्य नीति देश की चिकित्सा व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। उनके अनुसार, यह नीति न केवल विभिन्न रोगों के उपचार की सफलता दर बढ़ाएगी, बल्कि एलोपैथिक दवाओं से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने में भी प्रभावी भूमिका निभाएगी।
आधुनिक दवाओं के साइड इफेक्ट पर आयुर्वेद से संतुलन संभव
डॉ. पाराशर के मुताबिक टीबी, मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप तथा अन्य गंभीर बीमारियों में प्रयुक्त आधुनिक दवाओं के साइड इफेक्ट्स शरीर के कई अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। विशेष रूप से—
- लिवर
- किडनी
- नर्वस सिस्टम
- पाचन तंत्र पर इन दवाओं का भारी दबाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक औषधियों की सहायता से इस दबाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आयुर्वेद और एलोपैथी का सम्मिलित उपयोग रोगी को सुरक्षित, संतुलित और दीर्घकालिक लाभ प्रदान कर सकता है।
योग और ध्यान भी रोग-निरोध में प्रभावी
डॉ. पाराशर ने बताया कि योग और ध्यान न केवल मानसिक तनाव को कम करते हैं, बल्कि कई शारीरिक विकारों को उत्पन्न होने से रोकने में भी सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि इनका उपयोग आज रोगों की रोकथाम और चिकित्सा—दोनों स्तरों पर प्रभावकारी साबित हो रहा है।
नीति आयोग की समिति कर रही है सभी पहलुओं पर मंथन
एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर नीति आयोग द्वारा गठित समिति सभी पहलुओं पर गहन विचार कर रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि समिति शीघ्र ही ठोस सुझाव प्रस्तुत करेगी, जिससे एकीकृत चिकित्सा नीति के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा और देश की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटना आसान होगा।
‘सबके लिए स्वास्थ्य’ लक्ष्य अधूरा रहने की वजह बताई
डॉ. पाराशर ने कहा कि “सबके लिए स्वास्थ्य” का लक्ष्य केवल एलोपैथिक पद्धति पर अत्यधिक निर्भरता के कारण अब तक पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है।
उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में अपेक्षित परिणाम न मिलना एक समग्र, एकीकृत चिकित्सा प्रणाली के अभाव का स्पष्ट संकेत है।
डेंगू जैसी बीमारियों में अब भी एलोपैथी की सीमा
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि डेंगू जैसे रोगों के उपचार के लिए एलोपैथी में अब तक कोई विशिष्ट दवा उपलब्ध नहीं है।
यदि एकीकृत चिकित्सा पद्धति का व्यापक उपयोग किया जाए, तो ऐसे रोगों से होने वाली कई मौतों को रोका जा सकता है।
भविष्य की चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ बनेगी एकीकृत नीति
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एकीकृत स्वास्थ्य नीति भविष्य में भारतीय चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ साबित हो सकती है। यह नीति उपचार के साथ-साथ रोकथाम, संतुलन और दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगी।




